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अन्धारी नगरी में आंधा बसै है लोग / लक्ष्मीनारायण रंगा
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अन्धारी नगर में आंधो बसै है लोग
खुली आंख्यां लियां अठै सोवै है लोग
हाथा में मसालां जत्था रा जत्था
दिन रा उजाळा गुम जावै है लोग
आवणिया दिनां रा ले मीठा सुपनां
बाजीगरां सूं सदा ठगीजै है लोग
जड़ांमूल खाणै री, मनसा लियां मनां
मूंढ़ै पे अपणायत दिखावै है लोग
ऊपर सूं रंगमै‘ल सी चमक-दमक लियां
मांय मांय तरेड़ां, सी पावै है लोग
मकड़ी रै तन्तर में जाळा ई जाळा
तन-मन सूं फंस्या, तड़फड़ाव है लोग