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अन्धेरे से बचाव / फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
वह आदमी मर गया और चला गया
पर काल ज़्यादा देर तक ज़मीन पर पड़ा नहीं रहा ।
वृक्षों तक पहुँचाया हमने उसका जीवन
पर उसका दिल किसका है ?
वह आदमी मर गया और चला गया
पर हम खड़े हुए हैं उस मृत व्यक्ति के पक्ष में ।
हमारी रातों के अन्तहीन दुख में
यह पीलापन कभी कम क्यों नहीं होता ?
यह आदमी मर गया और चला गया
पर फिर भी यह नदी नहीं रुकेगी, बहती रहेगी,
और उसकी क़िस्मत ख़ूबसूरत पक्षियों की तरह
उसका नाम दूर-दूर तक फैला देगी ।
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय