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अन्याय बढ़ रहा है मिलकर इसे हटाएँ / बाबा बैद्यनाथ झा
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अन्याय बढ़ रहा है मिलकर इसे हटाएँ
हुंकार खूब भर कर सब गीत गुनगुनाएँ
सब देखते हमेशा अपराध सामने में
उन मूक दर्शकों को सद्ज्ञान हम सिखाएँ
जब गीत लिख रहे हों उत्तम विचार भरकर
जो भी पढ़े सुने तो सद्भावना बढ़ाएँ
यह लेखनी चले तो दें प्रेरणा सदा ही
जनचेतना बढ़ा कर आदर्श जग बनाएँ
आह्लान है ज़रूरी हर लेख या ग़ज़ल में
यह देश जब बढ़ेगा तब नाम भी कमाएँ
जब शक्ति लेखनी की सबसे अधिक समझते
तब आप नित्य 'बाबा' प्रेरक ग़ज़ल सुनाएँ