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अन्हर बिहारि सब बहिते रहतै / भास्करानन्द झा भास्कर
Kavita Kosh से
अन्हर बिहारि सब बहिते रहतै
जीवनमे सुख दुख अबिते रहतै
आस किरणसं आश्वस्त मनुज
हर्खक गीत मिलि गबिते रहतै
उमकि पवन वन झाड़ैत गाछ
मन गातमे उमंग लबिते रहतै
छोटका बडका अगरल पिछरल
समयक चक्रमे सब दबिते रहतै
धीरज संग सब दगधल करेज
जीनगीक सुस्वाद पबिते रहतै