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अन्हार भगावोॅ (कविता) / श्रीकान्त व्यास
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हमरोॅ भीतर दुकलोॅ अन्हार भगावोॅ,
ज्ञान के दीया प्रभु झकमक जलावोॅ।
हम बच्चा के छिपलोॅ बात तोॅ जानै छोॅ,
चोर आरो साधु सबकेॅ पहचानै छोॅ।
हम जे करै छी बही में लिखवाय छोॅ,
झट सें फोटो भक्तोॅ के खिंचवाय छोॅ।
भूल-चूक प्रभु जी माफ करी दीहोॅ,
मन-भीतर उठलोॅ सब पाप हरी लीहोॅ।
भगवान, खुदा, गॉड सब एक्के छै नाम,
झगड़ै झुट्ठे लोग फोकट में दै जान।
हर जन में प्रेम आरो करुणा जगावोॅ,
हम बच्चा-घर ढुकलोॅ दरिद्दर भगावोॅ।