अपंग समाज / दीप नारायण
जखन सड़क पर ठाढ़ भ'
उदंडताक सीमा नाँघि
खिड़की पर चेपा बरसबैत ओ
गजेरी छौड़ा सभ
मुँह सँ बाहर फेकति धुँआँक संग
बेटीक नामे अभद्र गारि देने रहैक
कि भेलैक?
खिड़की बंद क'
गुब्दी लाधि देलखिन चौधरी जी आ
मुड़ी गोतने रहि गेलखिन पाण्डे जी
जखन सोझा मे बैसल बेटीक अंतर अंग केर
उच्चारण चिबबैत चलि गेलैक निहंगरा
काल्हि खन एगोट अबोध नेना केँ
सरेआम मारि क'
फेक देल गेल रहैक धार मे
किछु नै भेलैक
प्रशासनो केँ भेटल रहैक जबाब मे मात्र
किछु नापल-जोखल शब्द
'हमरा सभ किछु नै देखलहुँ
आ ने ककरो पर अछि सुबहा
नहि जयबाक अछि हमरा
थाना-फौदारी मे
एकर कुंडलीये मे दोष छलैक'
एतबे नहि,
स्कूल सँ घुरैत
बारहवीं किलासक बचिया केँ
लूटि गेलैक इज्जति
ककरो डेग नै उठलै
सिंह जी सुनबे नहि केलखिन किछु
हमरो नै फुटल बकार
आँखि मुनि लेलखिन महतो जी
जहिया शान्तिक जरा देने रहैक
दहेजक आगि मे आ
ममताक मुँह पर फेकल गेल रहैक तेजाब
तहियो एहिना भेल रहैक
अन्यायक विरुद्ध आब
किछु नै क' सकैत छी
इतिहासक सभ सँ गँहीर मृत्यु
मरि रहल छी हमरा लोकनि
मुँह त' देने अछि भगवान
मुदा, बकार नहि अछि
आँखि आ कान अछि सेहो
मुदा, आन्हर आ बहीर छी
अछि त' दिमागो मुदा, सुन्न
लोथ अछि हाथ-पैर दुनू
ई पुरा समाज अपंग अछि
हमहुँ आ अहुँ।