Last modified on 15 मार्च 2018, at 10:14

अपड़ा संस्कार / नरेन्द्र कठैत

हे रे वे !
लासण -प्याज!
रै-पळिंगा! हरा धण्यां!
अरे! तुम बि कक्खि
गमला वळौं कि तरौं
नौ हि नौ का
नि रै जयां.

फौंकि जाणि छन भैर
क्वी बात नी भुलौं!
पर या!
तौं फकत फैसनौं
नि कटौंणा रयां.

इन क्वी नी ब्वनू
कि तुम नि खयां
य ज्यूं मर्यां
पर या! हरेक फौंकि तक
म्वरदू-म्वरदू तक
अपड़ा संस्कार
भ्वरदि रयां।