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अपणायत : एक लखाव / सांवर दइया

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नितूका
मिलै-मुळकै लोग

एढ़ै-टांकाडै
गनो निभावती
     सांस
रोजीना आवै-जावै

पण अठै
ना अपणायत
    ना हेत

ऐड़ी गत में जीणो
जाणै
तपतै धोरां माथै
     अंत बिहूणी जात्रा

बीं माथै
माठै मनां चालणो
फाटियोड़ा जूता पैरियां
जिकां में
भरीजती रैवै
         रेत !