आबाद रहो बस्ती वालो ! हम तो अपना घर छोड़ चले
आबरू भली जो साथ रही हम तो दर-आँगन छोड़ चले
अब किससे कैसी होड़ यहाँ हम सारी दुनिया छोड़ चले
हर हँसी ठहाका दिलदारी दामन में तुम्हारे छोड़ चले
आबाद रहो बस्ती वालो ! हम तो अपना घर छोड़ चले
आबरू भली जो साथ रही हम तो दर-आँगन छोड़ चले
अब किससे कैसी होड़ यहाँ हम सारी दुनिया छोड़ चले
हर हँसी ठहाका दिलदारी दामन में तुम्हारे छोड़ चले