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अपना पाठ सुनाओ / फुलवारी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
हुआ सवेरा ची ची करते
नन्हे पंछी बोले -
उठ जा गुड्डू , मुन्नू , पप्पू
अपना मुखड़ा धो ले॥
सूरज की किरणों ने तब
अपना घूँघट सरकाया।
हँस कर बोली भैया अब
खाने का नंबर आया॥
इठला कर तब कहा हवा ने
बस्ता चलो उठाओ।
खोल किताबें पढ़ने बैठो
अपना पाठ सुनाओ॥