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अपना बन कर साथी मेरा छीन ले गया / रंजना वर्मा

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अपना बन कर साथी मेरा छीन ले गया
मेरे हिस्से की सब खुशियाँ बीन ले गया

जिस को अपना समझा था वह जाते जाते
आंखों से सारे सपने रंगीन ले गया

ऊपर वाले ने तो खुशियाँ जी भर बाँटी
दिल का चयन मुझे कर के ग़मगीन ले गया

यार बुत बने तो बन जाऊँ बुतपरस्त मैं
पर वो यादें अपनी सभी हसीन ले गया

मुझ से दूर फ़लक पर जा कर किया बसेरा
रहूँ कहाँ जब कोई मेरी जमीन ले गया

रिश्ता बड़ा पुराना ख्वाबों की दुनियाँ से
इसीलिये सपने सब बेहतरीन ले गया

इज़्ज़त पैरों पर रख दी थी उस के फिर भी
घर की इज़्ज़त वो कर के तौहीन ले गया