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अपनी अपनी व्यवस्था के खोखल से / कुमार मुकुल
Kavita Kosh से
अखबार छापते रहते हैं खबरें
भटके हुए तेंदुए और बाघिन के
पूरी फौज मय पुलिस अधिकारियों के
भागती है उनके पीछे
वे बचाना चाहते हैं उसके पंजों से
नागरिकों को
उधर झुंड के झुंड लोग
हो रहे आदमखोर
उनके लिए कुछ नहीं है
ना पिंजडे ना कालापानी ना अभयारण्य
उनकी आबादी को फिलहाल
कोई खतरा नहीं
अखबार उनकी खबरें छापते रहेंगे
तब तक जब तक वे अखबार के दफ्तरों में
घुस कर खाने नहीं लगेंगे खबर के सौदागरों को
जब तक वे थानों में घुसकर खाने नहीं लगेंगे
तथाकथित जांबाज सिपाहियों को
जब तक वे इस व्यवस्था की रेंड नहीं मार देंगे
वे बढते रहेंगे अबाध
और अपनी अपनी व्यवस्था के खोखल में
मग्न तमाम लोग
देखते रहेंगे
अपने स्यापों की सुर्खियां बनते ।