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अपनी कथा नहीं / प्रकाश
Kavita Kosh से
मैं अपनी कथा कहना चाहता था
कथा शुरू करते ही
पहले शब्द में आकर
बैठ जाती थी एक चिड़िया
जब तक मैं उस चिड़िया को हड़काता था
दूसरे शब्द में आकर बैठ जाती थी
एक हरी पत्ती
पत्ती से निबटने की सोचते ही
तीसरे में चला आता था
हँसता हुआ गुलाब
मुझे हँसी आ जाती थी
मेरी अपनी कोई कथा नहीं थी!