अपनी पत्नी को समर्पित / टी० एस० एलियट / अनूप सेठी
जिसकी वजह से है उछाह भरी ख़ुशी
जो मेरी चेतना में डाल देती है जान, हमारी जागबेला में
और चैन भरी लय, रात की हमारी आरामबेला में,
सांस लेना एक सुर में
प्रेमी, एक दूसरे की महक से महकती हैं जिनकी देहें
जिनको आते हैं एक से ख़याल, बोलना वहाँ ज़रूरी नहीं
और बोलते हैं एक से बोल, मानी वहाँ ज़रूरी नहीं
चुभती सर्द हवा, ठिठुराएगी नहीं
सिर पर चिड़चिड़ा सूरज, कुम्हलाएगा नहीं
गुलाबों की बगिया के गुलाब जो हमारे हैं, सिर्फ़ हमारे
पर यह समर्पण पढ़ेंगे दूसरे :
हैं ये अंतरंग बोल तुम्हारे लिए सरेआम ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनूप सेठी
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
T.S. Eliot
A Dedication to My Wife
To whom I owe the leaping delight
That quickens my senses in our wakingtime
And the rhythm that governs the repose of our sleepingtime,
the breathing in unison.
Of lovers whose bodies smell of each other
Who think the same thoughts without need of speech,
And babble the same speech without need of meaning…
No peevish winter wind shall chill
No sullen tropic sun shall wither
The roses in the rose-garden which is ours and ours only
But this dedication is for others to read:
These are private words addressed to you in public.