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अपनी पलकें वो बंद रखता है / शीन काफ़ निज़ाम
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अपनी पलकें वो बंद रखता है
जाने कैसी पसंद रखता है
ख़ुद को कहता है आसमाँ पैमा
कितनी ओछी कमंद रखता है
मारा जाएगा देखना इक दिन
क्यूँ दिल ए दर्दमंद रखता है
साथ वाले ख़फा ख़ता ये है
क्यूँ इरादे बुलंद रखता है
धूप से सामना न हो जाए
घर से दरवाज़े बंद रखता है