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अपनी बेटी के लिए-6 / प्रमोद त्रिवेदी

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बड़ी नहीं होती कभी बेटियाँ
पर समझदार हो जाती हैं वे कुछ जल्दी ही
सीख देती हैं अपनी माँ को
थामती हैं इस तरह वे अपनी माँ का हाथ
कि सुरक्षित मान सकती है ख़ुद को
वह बेटी की हिफ़ाज़त में।

सोचती है माँ-
कितनी जल्दी आगे
निकल जाती हैं बेटियाँ
हर बात में