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अपनी बेटी के लिए / स्तेफान स्पेन्डर
Kavita Kosh से
टहल रहे हम साथ आज;
मैं, मेरी बिटिया
कितनी उजली पकड़ हाथ की उसके पूरे
मेरी इस उँगली पर ।
आजीवन आलोक-वलय यह
इस हड्डी के गिर्द करूँगा अनुभव मैं, जब
हो जाएगी बड़ी — आज से दूर,
कि जैसे
दूर देखती आँखें उस की अभी,
आज ही
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेशचन्द्र शाह