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अपनी माँ की किस्मत पर मेरे बेटे तू मत रो / प्रदीप
Kavita Kosh से
अपनी माँ की किस्मत पर मेरे बेटे तू मत रो
मैं तो काँटों में जी लुंगी जा तू फूलों पर सो
अपनी माँ की किस्मत पर...
तू ही मेरे दिन का सूरज तू मेरी रात का चंदा
एक दिन तो देगा तू ही मेरे अंत समय में कन्धा
मेरा देख के उजड़ा जीवन तू आज दुखी मत हो
मैं तो काँटों में जी लुंगी जा तू फूलों पर सो
अपनी माँ की किस्मत पर...
हसने के ये दिन हैं तेरे रोने से तेरा क्या नाता
रोने के लिए तो बेटा जनी है जगत में माता
मेरे लाल ये आंसू देदे अपनी दुखिया माँ को
मैं तो काँटों में जी लुंगी जा तू फूलों पर सो
अपनी माँ की किस्मत पर...
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