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अपनी माँ के लिए / हेनरिख हायने

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छोड़ दिया था मैंने तुझको अनजाने में
चाहा था जाना दुनिया के अन्तिम छोर
भटक रहा था खोज में उसकी यहाँ-वहाँ
बाँहों में लेना चाहा था प्यार को घनघोर

गली-कूचों में मैंने अपना प्यार तलाशा
दर-दर फैलाए हाथ और खोजी आशा
भीख माँगी, सोचा अपना प्यार बचा लूँ
हँसे सब, मुझे घृणा मिली औ’ हताशा

ग़लत किया था मैंने प्यार का अहसास
प्रेम से जोड़ी थी मैंने जीवन की आस
पर प्रेम ने छिटकाया मुझे ख़ुद से दूर
घर लौट आया मैं बीमार औ’ उदास

तभी हुई तुझ से कहीं मुलाक़ात मेरी
आँखों में तेरी दिखा मुझे प्रेम का अहेरी
मधुर प्रेम पाने को तेरा मैं था फिर तैयार
वहाँ झलक रहा था मेरा चिर-वांछित प्यार

हाइनरिष हाइने की कविता का रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय