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अपनी ही तरक़्क़ी से मिटा जाता है / रमेश तन्हा

 
अपनी ही तरक़्क़ी से मिटा जाता है।
अपने ही लिए खदशा बना जाता है
हर शख्स कि औरों को मिटाने के लिये
अपना ही शिकार आप हुआ जाता है।