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अपने अकेले होने को / विनोद कुमार शुक्ल

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अपने अकेले होने को
एक-एक अकेले के बीच रखने
अपने को हम लोग कहता हूँ।
कविता की अभिव्यक्ति के लिए
व्याकरण का अतिक्रमण करते
एक बिहारी की तरह कहता हूँ
कि हम लोग आता हूँ
इस कथन के साथ के लिए
छत्तीसगढ़ी में- हमन आवत हन।

तुम हम लोग हो
वह भी हम लोग हैं।