उन में से कोई नही जानता
कहानी हमारे बिछड़ने की
कुछ ने गवाही दी तुम्हारे पक्ष में
कुछ मेरे हमदर्द बने
अपने अहम् के साथ
खड़े रहे हम
जैसे नदी के दो किनारे
किसी ने नही की
हमारे मिलन की बात
बस, मन ही मन हँसते रहे
हमने भी न लिया फिर विवेक से काम ...