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अपने अहम् के साथ खड़े रहे हम / नित्यानंद गायेन
Kavita Kosh से
उन में से कोई नही जानता
कहानी हमारे बिछड़ने की
कुछ ने गवाही दी तुम्हारे पक्ष में
कुछ मेरे हमदर्द बने
अपने अहम् के साथ
खड़े रहे हम
जैसे नदी के दो किनारे
किसी ने नही की
हमारे मिलन की बात
बस, मन ही मन हँसते रहे
हमने भी न लिया फिर विवेक से काम ...