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अपने गट्टी / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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अपने गट्टी भरि पनबट्टी, अनका संगेँ लट्टा पट्टी।
सबकेँ जाति भाइ टा सूझय
अपने हित देशक हित बूझय
तेँ सरकारी धन जे आबय
लत्तहि पाबय तत्तहि लूझय
चेला-चाटी बाटेँ-घाटेँ असुलि रहल बलजोरी बट्टी॥
जनता फाँकि रहल आश्वासन
नेता उत्सर्गथि अर्गासन
एमहर ढनढन कोठी भँड़ली
ओमहर उमड़ल, उमड़ल बासन
अपना छहर देबाली घेड़ल, गामक लोकक टूटल टट्टी॥
नाम चलय सामाजिक न्यायक
काज मुदा सबटा अन्यायक
सेकुलर सेकुलर झालि बजाबय
जेहन बजनियाँ तेहने गायक
आन कालमे कट्टम-कट्टी, असल बेरमे सट्टम-सट्टी॥
धरता माँटि सकल हड़ताली
पड़तनि पिक्की, बजतनि ताली
अपने तँ बंबं करिते अछि
छै करैत बंबं घरवाली,
अपना मौजा जुत्ता ओकर उँचकी एँड़ी वाली चट्टी॥
कतबो कूदथु फानथु बासा
आखिर बन्दे करतनि श्वासा
फुस फुस्टाव फुटावो फूटत
ई नहि टकसत रत्ती माशा
हुँकरि-चुकरि सब धरता रस्ता बेतन बिनु छूटनि छपटट्टी॥
किछु अछि सारिल ठोकल ठाकल
किछु ठहुरी आ किछु अछि बाकल
राजनीति केर कलमबागमे
सबकेँ चाही गोपी पाकल
नैतिकताक बात जे बजता से जयता सोझे मरघट्टी
जनसंख्याक बोझ अछि भारी
नर संहारक क्रम तेँ जारी
बं बं करइत जेबम फोड़य
से सब थीक परम उपकारी
एहि बीच जे बाधा करथिन तनिकर झाड़ि देतनि कनपट्टी॥
अपराधी दल जबर्दस्त छै,
सिर पर ककरो वरदहस्त छै
तेँ ने लोकक जान सस्त छै
आ पुलिसक बल भेल पस्त छै,
अवसर पबितहि एस. पी. ओ. केँ तोड़ि दैत छै ठामहि नट्टी॥
जनिका पर छल बहुतो आशा
से बहरयला फोंक बताशा
अगड़ाही अछि पसरल चौदिस
देखथि ठाढ़े ठाढ़ तमाशा
एके लाड़निसँ सब लाड़ल क्यो ने अछि ककरोसँ घट्टी॥
भगवानो छथि चुप्पी सधने
महादेव से गुम्मी लधने
ब्रह्मा बाबा ततमत जे
छाड़ि कमण्डल राखी बन्हने
लक्ष्मी माता सरस्वतीकेँ सहजहि आइ पढ़ाबथि पट्टी॥