भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपने जज़्बात को लफ़्ज़ों में बदलना होगा / चित्रांश खरे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपने जज़्बात को लफ़्ज़ों में बदलना होगा
दर्द की राह से अश्क़ों को गुज़रना होगा

जान दे दूंगा वफाओं की हिफाज़त में कभी,
मुझपे इतना तो भरोसा तुझे करना होगा

अब किसी ग़ैर का होने को जी नहीं करता,
मुझको ता-उम्र तेरी याद में जलना होगा

टाट के वक़्त तेरी राह तकेगीं आँखें,
चाँद तारों को मेरे साथ पिघलना होगा

हाय इन सर्द हवाओं के सुलगते झोके,
कुछ तो मोसम के इशारों को समझना होगा

कल सहर होते ही मुम्किन है कोई सच जागे,
रात भर तुझको उमीदों से बहलना होगा