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अपने बाबा के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आये / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अपने बाबा के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आये
मैं तुझे पूछूं ए मेरी लाडो यहां क्यूं कंवर बुलाए
अपने बाबा की मैं लाख सौगन्ध खाऊं मैं नहीं कुंवर बुलाये
बाबा रूप देख वर आये
अपने बाबल के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आए
मैं तुझे पूछूं ए मेरी लाडो यहां क्यों राव बुलाये
अपने बाबल की मैं लाख सोगन्ध खाऊं
मैं नहीं कुंवर बुलाये
बाबल रूप देख वर आये