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अपने बारे में मैं कुछ नहीं जानती / लुइज़ा फ़ामोस
Kavita Kosh से
अपने बारे में मैं कुछ नहीं जानती
सिवा उसके जो हवा मुझको फुसफुसाती है
शाम को जब सब-कुछ चुप हो जाता है
जो बादल
मुझे बतलाते हैं
जब वे आकाश से गुज़रते हैं
और आज
मैं यह भी समझी
कि चिड़ियों ने
मेरे लिए क्या लिखा
जब वे अपने फेरे लगा रही थीं
मेरे दिन के नीलेपन में।
अनुवाद : विष्णु खरे