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अपने बिना सुपन में तूलो / संत जूड़ीराम
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अपने बिना सुपन में तूलो।
जिमि विभिचार प्रीति पर पति पर कियो सिंगार फिरत तन फूलो।
डंभ कपट पाखंड मंड मन काम क्रोध माया मद हूलो।
चार जुग्ग जुग रचत हिंडोरा कर्म धर्म को मारग झूलो।
जूड़ीराम शब्द बिन चीन्हें अपनी समझ अपन मैं भूलो।