पुरूष के सीने पर
कभी सिर
कभी हाथ रखकर
टटोलती है स्त्री
उसका मन
रह सके जिसमें
अपने सारे दुखों के साथ
निराश होती है वह।
पुरूष के सीने पर
कभी सिर
कभी हाथ रखकर
टटोलती है स्त्री
उसका मन
रह सके जिसमें
अपने सारे दुखों के साथ
निराश होती है वह।