भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अपने हाथों / सत्यनारायण सोनी
Kavita Kosh से
खेत हमारे थे
उन्होंने कहा-
बीज डाल दो
हमने खेत बो दिया।
फसल पकी
तो उन्होंने कहा-
अनाज निकालो
और भर दो
हमारे गोदाम।
हमने गोदाम भर दिए
यह सोच
कि दाने-दाने पर
लिखा होता है
खाने वाले का नाम।
मगर
जब हम भूखे थे
रोटी-रोटी चिल्लाए
और बगावत की
तो उन्होंने कहा-
आग लगा दो
खलिहानों में।
तो अब हमें
सोचना होगा
और दाने-दाने पर
खाने वाले का नाम
अपने हाथों लिखना होगा।
1990