अपने ही इतिहास से पलायन? / संजय तिवारी
शक्ति विहीन शिव
सीता विहीन राम
राधा विहीन कृष्ण
लक्ष्मी विहीन विष्णु
क्या देखा है तुमने?
सुना है तुमने?
यह सृष्टि?
जो तुम्हारे लिए मिथ्या है
रक्षित है दुर्गा से
शिक्षित है सरस्वती से
पोषित है लक्ष्मी से
राम के लिए सीता जरुरी है
कृष्ण के लिए राधा मज़बूरी है
लक्ष्मी बिना विष्णु अधूरी है
वीणा लिए जिस शिव को
सदा गाती रहती है सरस्वती
उस शिव के लिए अत्यंत आवश्यक है
पार्वती
यह इतिहास क्यों नहीं पढ़ा तुमने
अपने ही अतीत के प्रतिमान
क्यों नहीं गढ़ा तुमने
अरे निर्बुद्ध
लगाए होते
नज़र दौड़ाये होते
तुम जान पाते
बिना स्त्री कोई राज पुरुष
बलवान हो सकता है
सर्वशक्तिमान हो सकता है
परम वैभव का स्वामी हो सकता है
ज्ञान? कौशल और यश का
अनुगामी हो सकता है
स्वर्ग से भी व्यापक बना सकता है
अपना धाम
पर कोई कभी भी नहीं जपेगा
उसका नाम.
अर्धांगिनी से छल
हर पंडित को? ग्यानी को
परम अभिमानी को
रावण बना देती है
और सीता की एक आह
उसकी समस्त लंका को
बना देती है
केवल राख की ढेर
रावण भी मरता है बुद्ध
भले ही हो थोड़ी देर
या सवेर।
अपने इतिहास से पलायन
बना कर छोड़ देता है
धोबी का कुत्ता
न घर का? न घाट का।