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अपने ही दम पर / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
आकाश
उसे भी छूना
पर बस
अपने ही पंखों
ऊचाइयाँ
उसको भी पानी
औरों की सीढ़ी नहीं
पांव - पांव चल कर
यूँ पहुँचने में
देर ज़रुर होगी
यात्रा थकायेगी
सब जानती - समझती
मगर कहीं हठ ठाने
चलेगी
उड़ेगी
अपने ही दम पर