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अपने ही पैरों / चंद्र रेखा ढडवाल


हाथ भी अपने
जीवट अपना
फिर पालें क्यों
औरों का सपना
खोजेंगी राहें
पा लेंगी मंज़िल
अपने ही पैरों चलेंगी