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अपन अधिकार / कालीकान्त झा ‘बूच’
Kavita Kosh से
काननक गाम
कंदराक कक्ष!
उत्तापक सोइरी
ताहि मे-
तोहर कानब के सुनतह?
हे ल'व हे कु'श,
उठह उठह आ -
आदिकाव्यक एहि करुण कथा केँ
गाबि -गाबि क' सुनबह एहि समग्र संसार केँ
हे वनवासी,
राजाक अत्याचार पर
जनपदक व्यवहार पर
वीरत्वक सम्मानक लेल
क्षेत्रीय उत्थानक लेल !
मैथिलीक त्राणक लेल
भरथ-रिपुसूदन सँ
लखन विभीषण सँ
वालिपुत्र वानरराज वातजातक वाते की!
भीड़ि जाह वाह!वाह त्रिभुवनक ताते सँ
मिथिलाक भागिन भगवानो सँ भीड़ि क'
पबैत छैक विक्ट्री
कहैत छिय'ह ह'म नहि नहि
इंडियन अन्सिएंट हिस्ट्री