भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपन समाजमे / गंग नहौन / निशाकर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


अपन समाजमे
पजरि गेल अछि
क्रोध
घृणा
आ अहंकारक आगि।

छिड़ियाएल अछि
लिंग
जाति
आ सम्प्रदायवादक माहुर।

सूति गेल अछि
पुलिस
कानून
आ सत्ताक करपरदार।

जहिया धरि रहत
पृथ्वी पर मनुक्ख
ओकरा मोनमे पोसाइत रहतैक
सृजन करबाक लिलसा।