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अप्पन होली आझे मनतो / सच्चिदानंद प्रेमी
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अप्पन होली आझे मनतो।
दरकल दिल के जोड़ रहल ही
कर के जतन अनोखा
का कहियो अपने भईबा तो
देलक हमरा धोखा
छोड़ऽ इसब मन के मारऽ
काम राग रंग फागे मचतो