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अप्प दीपो भव / उपसंहार 2 / कुमार रवींद्र
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प्रश्न वही
पूछ रहे बुद्ध आज भी
दुख क्या है
जिससे सब पीड़ित हैं
शोक-मोह
क्यों रहते संचित हैं
जहाँ हैं कपोत
वहीं रहते क्यों बाज़ भी
क्यों सब हैं
अगिनकथा बाँच रहे
हम कितनी बार जले
कौन कहे
सुक्ख नहीं दे पाते
क्यों तख्तोताज़ भी
आदिम इच्छाओं का
कैसा यह व्यूह है
भीतर क्यों साँसों में
रेतीला ढूह है
रहता क्यों बेसुरा
सपनों का साज़ भी
जीवन के
वही-वही द्वंद्व हैं
गान वही घिसा-पिटा
भंग-छंद हैं
रोग वही साँसों के
आज भी - लाइलाज भी