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अप्प दीपो भव / उपसंहार 3 / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
कहा बुद्ध ने -
'एक अगिन है
जिसमें जलते सारे लोग
'दिखीं तुम्हें जो
मिसीसिपी के तट पर
जलती ज्वालाएँ
होतीं रोज़ ही
'पेज थ्री' पर हैं
जिनकी चर्चाएँ
'उनसे बचना
बहुत कठिन है
उनमें ढलते सारे लोग
'हमने सदियों पहले देखी -
वही अगिन है
यह, आवुस
आज जल रहे 'बुश'
'क्विंटल' हैं
कल थे इसमें जले नहुष
देह बर्फ की
गुफा गझिन है
जिसमें जलते सारे लोग'
अज़ब तमाशा
बर्फ़-आग दोनों में
झुलस रहे हैं हम
देख हमारी
दुविधाओं को
हुईं बुद्ध की आँखें नम
हाँ, सोने का
एक हिरन है
देख मोहते सारे लोग