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अप्प दीपो भव / तथागत बुद्ध 2 / कुमार रवींद्र
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याद बुद्ध को आया पिछला हर दिन
जन्मे थे लुम्बिनी महावन में
वृक्ष-तले
ऋषियों ने स्तवन किया
देवों ने चँवर झले
पहला दुख-
सात दिवस बीते ही माँ हुई अगिन
दुख था वह संस्कार
साँसों में व्यापा
और पिता ने उनको
सुख से था ढाँपा
छिछले हो
अपनाना किन्तु सुखों को था बड़ा कठिन
करुणा का पाठ मिला था
घायल हंस से
बोधिसत्त्व उपजे थे
क्षत्रिय के वंश में
पिछले जो
अनुभव थे -वही हुए और भी गझिन