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अफ़साना ये हस्ती है / नीना कुमार
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अफ़साना ये हस्ती है चश्म<ref>आँख</ref> गुनाहगार नहीं है
हिजाबाँ<ref>ढकी हुई, नकाब पहने हुए</ref> क़ुदरत है और ये नज़र पुरकार<ref>योग्य</ref> नहीं है
ये माना हदे-पाँव से आगे निगाहों का जहाँ है
मगर सराबों<ref>मृगतृष्णा</ref> के समंदर हैं, ये खबरदार नहीं हैं
जब से जाना नीला आसमान नीला नहीं होता
तौफ़ीक-ए-नज़र<ref>नज़र की योग्यता</ref> पर हम को ऐतबार नहीं है
आँखों की बदौलत चर्ख़-ए-माह-कौ-कब<ref>सितारों जड़ा आसमान</ref> तक जाते
पर यहाँ हकीक़त आसानी से आशकार<ref>दिख सकने वाला</ref> नहीं है
ज़र्रों, रौशनी, हवाओं का एक खेल है दुनिया
'नीना' सिआह<ref>काली</ref> है कायनात, गर गुबार नहीं है
शब्दार्थ
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