भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अबोध / घनश्याम कुमार 'देवांश'
Kavita Kosh से
प्यार करने वाले
अबोध भेड़ शावकों की तरह होते हैं
कसाई की गोद में भी
चढ़ जाते हैं
और
आदत से मजबूर बेचारे
भेडिये की थूथन
से भी नाक सटाकर
प्यार सूंघने लगते हैं....