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अब आई बरसात / महेश कटारे सुगम
Kavita Kosh से
बन्दर बोला, सुनो बन्दरिया
अब आई बरसात।
पानी बरसे, बिजली चमके
क्या होंगे हालात।
तभी बन्दरिया बोली हँसकर
क्यों मन में घबराओ।
जाकर तुम बाज़ार बड़ा-सा
एक छाता ले आओ।
उसके नीचे हम मस्ती में
उछलेंगे - कूदेंगे।
ख़ूब बरसते पानी में भी
निर्भय हो घूमेंगे।