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अब आगे बढ़ते जाएंगे मज़दूर-किसान हमारे / कांतिमोहन 'सोज़'

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अब आगे बढ़ते जाएँगे मज़दूर-किसान हमारे ।
मज़दूर किसान हमारे आशा-अरमान हमारे ।।

हाथों की हथकड़ी छूटी पैरों की बेड़ी टूटी
मंज़िल सर करते जाएँगे मज़दूर-किसान हमारे ।
मज़दूर किसान हमारे आशा-अरमान हमारे ।।

दे दिया ओखली में सर अब कैसा मूसल का डर
हर आफ़त से टकराएँगे मज़दूर-किसान हमारे ।
मज़दूर किसान हमारे आशा-अरमान हमारे ।।

करके सारी तैयारी चल दिया क़ाफ़िला भारी
अब लाल धुजा फहराएँगे मज़दूर किसान हमारे ।
मज़दूर किसान हमारे आशा-अरमान हमारे ।।