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अब किसी शैतान से डरना नहीं है / मधुर शास्त्री

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जग उठा है देवता का बल हमारा
अब किसी शैतान से डरना नहीं है

वे हमीं हैं शून्य रेखा में सदा नवरंग भरते
जन्म लेते तारकों को एक हम ही सूर्य करते
हम नहीं इतिहास का हर वाक्य कहता है कहानी
हम जहाँ रखते कदम वहाँ गाथा लिखती है जवानी

सत्य की पतवार अपने हाथ में
जब फिर किसी तूफान से डरना नहीं है
जग उठा है देवता का बल हमारा
अब किसी शैतान से डरना नहीं है