Last modified on 16 अक्टूबर 2010, at 22:32

अब कैसा हड़ताल का खतरा/ सर्वत एम जमाल

                  रचनाकार=सर्वत एम जमाल  
                  संग्रह=
                  }}
                  साँचा:KKCatGazal

अब कैसा हड़ताल का ख़तरा
सबको रोटी दाल का खतरा

दाना चुगने वाले पंछी
कैसे उतरें, जाल का खतरा

जीवन की शतरंज के ऊपर
आड़ी- तिरछी चाल का ख़तरा

अश्क अगर बहना भी चाहें
एक-एक पल रूमाल का ख़तरा

भेड़ से हमको खौफ नहीं है
बस इक मुर्दा खाल का ख़तरा

आज अदब या फनकारी पर
चढ़ आया नक्काल का ख़तरा

सर्वत लापरवाही कैसी
सोच गुजिश्ता साल का ख़तरा