भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अब क्या बताऊँ मैं तेरे मिलने से क्या मिला / सीमाब अकबराबादी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


अब क्या बताऊँ मैं तेरे मिलने से क्या मिला
इर्फ़ान-ए-ग़म<ref>ज्ञान</ref> हुआ मुझे, दिल का पता मिला


जब दूर तक न कोई फ़कीर-आश्ना मिला,
तेरा नियाज़-मन्द <ref> विनीत, चाहने वाला</ref>तेरे दर से जा मिला


मन्ज़िल मिली,मुराद<ref>इच्छा,चाह</ref> मिली मुद्द'आ<ref>विषय</ref> मिला,
सब कुछ मुझे मिला जो तेरा नक़्श-ए-पा <ref>पद-चिह्न </ref> मिला


या ज़ख़्म-ए-दिल को चीर के सीने से फेंक दे,
या ऐतराफ़<ref>स्वीकार कर </ref> कर कि निशान-ए-वफ़ा मिला

"सीमाब" को शगुफ़्ता<ref>आनंदित</ref> न देखा तमाम<ref>सारी</ref>उम्र,
कमबख़्त<ref>अशुभ</ref> जब मिला हमें कम-आश्ना मिला

शब्दार्थ
<references/>