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अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं / देवी नांगरानी
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अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
दर्द पिघला है अश्क़ बार हूँ मैं।
गीत कैसे न सुर में ढल जाते
दोस्तो साज़े दिल का तार हूँ मैं।
जिसने पी है तेरी निगाहों से
जो न उतरे वही खुमार हूँ मैं।
जिनको माँगे बिना मिले आँसू
उन्हीं लोगों में अब शुमार हूँ मैं।
जिससे घायल नहीं हुआ कोई
मोम की एक बस कटार हूँ मैं।