अब गुरु शबद मने मोहि दीना।
बंक नाल की राह लखाई द्वादस दिष्ट प्रवीना।
मूल महल को मारग झीनो पुरुष विदेही चीना।
बजत मिरदंग संग सहनाई शबद होत जहँ झीना।
जूड़ीराम बृम जब जागी लागी सुरत कुमत हर लीना।
अब गुरु शबद मने मोहि दीना।
बंक नाल की राह लखाई द्वादस दिष्ट प्रवीना।
मूल महल को मारग झीनो पुरुष विदेही चीना।
बजत मिरदंग संग सहनाई शबद होत जहँ झीना।
जूड़ीराम बृम जब जागी लागी सुरत कुमत हर लीना।