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अब जीवरा जुड़ाही / पीसी लाल यादव
Kavita Kosh से
जुड़-जुड़ पुरवाही, जंगल-जंगल ममहाही
झिरिया झर झर बोहाही, अब जीवरा जुड़ाही।
मोर राम...
सरर-सरर सरई सइगोन, डोले डारा-पाना।
कुहुक-कुहुक कारी कोयली, गाए गुरतुर गाना।
चींव-चींव चिरई चहचहाही, चारा चरके अघाही।
मुड़ी मगन डोलाही, मन तभे पतियाही।
मोर राम...
तेंदूपाना टोरे हुलस, हुलस चेलिक मोटियारी।
करमा के तान भरे मया-पीरा के पिचकारी॥
मउहा मन ममहाही, कउहा तन गदराही,
सुतरा संगी के आही, हिरदे गजब कल्पाही।
मोर राम...
ओली-ओली धरे संगी, तेंदू चार-चिरऊँजी।
हिरदे के तिजौरी म भरे, धरे पिरित के पूंजी॥
मंदरी मंदरिया बजाही, घुंघरू गोरी ह मिलाही।
ताली देखइया बजाही, तब बड़ा मजा आही।
मोर राम...