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अब तक उसकी मुहब्बत का नशा तारी है / शहजाद अहमद

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अब तक उसकी मुहब्बत का नशा तारी है
फूल बाकी नहीं खुशबू का सफ़र जारी है

आज का फूल तेरी कोख से ज़ाहिर होगा
शाखे दिल खुश्क न हो अबके तेरी बारी है

ध्यान भी उसका है मिलते भी नहीं हैं उससे
जिस्म से बैर है साये से वफादारी है

इस तगो ताज़ में टूटे हाँ सितारे कितने
आसमाँ जीत सका है न ज़मी हारी है

कोई आया है अभी आँख तो खोलो 'शहजाद'
अभी जागे थे अभी सोने की तैयारी है