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अब तक केवल उसे जिया है / कमलेश द्विवेदी

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उसने मुझसे आज कहा है-उसने ये महसूस किया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे ज़िया है।

मैंने कभी नहीं सोचा था-
ऐसा भी कुछ कर सकता हूँ।
कविताओं से कभी किसी के
दिल में डूब-उतर सकता हूँ।
पर दिल के गहरे सागर में आज उतर कर देख लिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे ज़िया है।

कोई आदत नहीं नशे की
पर मस्ती में झूम रहा हूँ।
धरती पर हूँ पर लगता है-
मैं अम्बर में घूम रहा हूँ।
आज प्यार का जाम किसी के हाथों बस दो घूँट पिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे ज़िया है।

इज्ज़त-शोहरत-दौलत सब कुछ
कविताओं से ही पायी है।
कविताओं से आज ज़िन्दगी
कितनी अधिक निखर आई है।
उसका ऋणी रहूँगा हरदम जिसने ऐसा हुनर दिया है।
मैंने अपनी हर कविता में अब तक केवल उसे ज़िया है।